Wednesday, 8 June 2016
Sunday, 5 June 2016
रसोईघर के लिए वास्तु
रसोई घर के लिए सबसे उपयुक्त स्थान आग्नेय कोण यानि दक्षिण पूर्वी दिशा है जो कि अग्नि का स्थान होता हैं
कुकिंग स्टोव, गैस का चूल्हा या कुकिंग रेंज रसोई घर के दक्षिण पूर्वी कोने में होना चाहिए|
पानी के सिंक के लिए जगह उत्तर पूर्व में होनी चाहिए.
बिजली के सामान के लिए ,दक्षिण पूर्व या दक्षिण दिशा है.
फ्रिज पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण पूर्व या दक्षिण पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है.
खाना पकाने में इस्तेमाल किये जाने वाली वस्तुए, अनाज, मसाले, दाल, तेल, आटा और अन्य खाद्य सामग्रियों, बर्तन, क्रॉकरी इत्यादि के भंडारण के लिए स्थान पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनाना चाहिए.
वास्तु अनुसार रसोई घर की कोई दिवार शौचालय या बाथरूम के साथ लगी नहीं होनी चाहिए और रसोईघर, शौचालय और बाथरूम के नीचे या ऊपर भी नहीं होना चाहिए.
रसोई का दरवाजा उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में खुलना चाहिए.
खिड़किया और हवा वाहर फेखने वाला पंखा पूर्व में होना चाहिए
रसोई घर में पूजा का स्थान नहीं होना चाहिए.
खाने की मेज को रसोई घर में नहीं रखा जाना चाहिए और रखनी पड़ती हें तो यह उत्तर पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए
Wednesday, 1 June 2016
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Tuesday, 31 May 2016
घर के लिए वास्तु टिप्स..........
- घर में हवा और प्राकृतिक रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए।
- शयनकक्ष में सोते समय पांव उत्तर और सर दक्षिण दिशा में हो।
- घर में पूजा स्थल बनाना हो तो वह उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। घर में पूजा स्थल तो होना चाहिए लेकिन शिवालय नहीं।
- घर के ठीक सामने कोई पेड़, नल या पानी की टंकी नहीं होनी चाहिए। ऐसी चीजों की वजह से घर में सकारात्मक शक्तियों के आगमन में परेशानी आती है।
- घर के सामने अगर कोई फलदार पेड़ जैसे केला, पपीता या अनार आदि है तो उसे कभी सूखने ना दें, घर के सामने छोटे फूलदार पौधे लगाना शुभ होता है।
- घर में बच्चों का कमरा उत्तर– पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर बच्चों के पढ़ने का कमरा अलग है तो वह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। बच्चों के कमरे की दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार खाना खाते समय हमारा मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। ये दिशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
- शयन कक्ष में दर्पण नहीं लगाना चाहिए| शयनकक्ष या बेडरूम में लकड़ी के बने पलंग रखने चाहिए।
- ज्योतिष विद्या के अनुसार सोते समय जातक के पैर दरवाजे की तरफ नहीं होने चाहिए।
- किचन में पूजा स्थान बनाना शुभ नहीं होता।
- घर का मध्य भाग ब्रह्मस्थान कहलाता है। इसे खाली और हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। ,मकान की छत पर बेकार या टूटे-फूटे समान को न रखें।
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