Tuesday, 30 August 2016

Sunday, 28 August 2016


ऑफिस के लिए वास्तु – Vastu Tips for Office

ऑफिस आपके पेशे या व्यापार के लिए सोचने, काम के क्रियान्वन, व्यापार में वृध्दि और धन सृजन की जगह है आपके कार्यालय का आकार और डिजाइन कर्मचारियों को सकारात्मक ऊर्जा देने वाला और कार्य में समृद्धि देने वाला होना चाहिए |
कार्यालय की इमारत के लिए प्लॉट चौकोर या आयताकार होना चाहिए.
ऑफिस के मुखिया या मालिक के बैठने का स्थान दक्षिण पश्चिम कोने में होना चाहिए और बैठते समय उत्तर की तरफ का सामना करना चाहिए|
आगंतुकों से मिलने के लिए कक्ष उत्तर पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा में बनाया जा सकता है|
वित्त विभाग के लिए दक्षिण पूर्व दिशा और बिक्री एवं मार्केटिंग की टीम के लिए कार्यालय में उत्तर पश्चिमी दिशा उत्तम हैं|
कैंटीन दक्षिण पूर्व या उत्तर पश्चिम की ओर में होना चाहिए|
शौचालय के लिए पश्चिम और उत्तर पश्चिम दिशा उपयुक्त हैं|
छत की बीम के नीचे किसी भी बैठने की व्यवस्था नहीं करनी चाहिए|
कार्यालय के केंद्रीय क्षेत्र को खाली रखा जाना चाहिए|

Friday, 26 August 2016

Sunday, 21 August 2016


जमीन खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

जमीन खरीदना हो तो वास्तु आधारित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ये आपके घर को खुशहाल बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं।

1. ऐसी भूमि जिस पर जल्दी आग न जले या जलकर बुझ जाए वह कभी फलदायी नहीं मानी जाती है।

2. जो भूमि पश्चिम में ऊंची एवं पूर्व की ओर से नीची हो, वह फलदायी मानी जाती है।

3. भूमि खरीदते समय ध्यान रखें मिट्टी का रंग चाहे जैसा भी हो, लेकिन वह चिकनी होनी चाहिए।

4. भूमि की मिट्टी यदि पीली या सफेद है तो वह शुभ मानी जाती है। यदि लाल है तो मध्यम यदि काली है तो भूमि पर घर या कार्यालय नहीं बनाना चाहिए।

5. यदि भूमि को खोदने पर मिटटी में हड्डी, फटा कपड़ा मिले तो उस भूमि पर रहना शुभ नहीं होता है।

6. जिस भूमि पर पहले श्मशान आदि रहा हो तो वह भूमि अशुभ होती है।

Friday, 19 August 2016


क्या घर में लगी दीवार घड़ी सही दिशा में है....?

1. घड़ी उत्तर या पूर्व की दीवार पर ही लगाएं।
2. घड़ी पश्चिम दिशा में भी लगा सकते हैं, लेकिन दक्षिण दिशा की दीवार पर घड़ी भूलकर भी  न लगाएं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अगर आप दक्षिण की दीवार पर घड़ी लगाते हैं  तो दक्षिण दिशा से आने वाली  नकारात्मक ऊर्जा से आपके कार्य में निरंतर परेशानी आती रहेगी।
3. हमेशा घड़ी को ऐसी जगह लगाएं, जहां से वह सभी को आसानी से दिखाई दे सकें।
4. दीवार घड़ी की नियमित रूप से साफ-सफाई करते रहें।
5. ऐसी घड़ी को तुरंत बदल देना चाहिए जिसका शीशा टूटा हुआ हो, ऐसी घड़ी परिवार के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
6. अगर आपने अपने हॉल को सजाने के लिए मधुर संगीत या मधुर ध्वनियां उत्पन्न करने  वाली घड़ी पसंद की है तो ऐसी घड़ी हमेशा घर के ब्रह्मस्थान स्थित लॉबी में लगाएं। इससे  इससे आपके और परिवार के अन्य सदस्यों को भी उन्नति के  नए-नए अवसर मिलेंगे और दूसरा इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा तथा  धीरे-धीरे घर की नेगेटिविटी दूर होगी।
7. जल्दी-जल्दी काम समाप्त करने के चक्कर में अथवा ऑफिस में समय से पहुंचने के लिए कभी भी घड़ी को तय समय से पीछे न रखें। इससे उलटा अगर आप घड़ी को सही समय से 10-15 मिनट आगे रखेंगे तो आपको वक्त के साथ चलने की सही राह मिलेगी, जो निरंतर  आपके जीवन को गति देगी और आप निरंतर उन्नति करते रहेंगे। 

Tuesday, 16 August 2016


रक्षा बंधन का त्यौहार मनाने के लिए कुछ विशेष शुभ मुहूर्त

रक्षा बंधन का त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक होकर चारों ओर अपनी छटा को बिखेरता सा प्रतीत होता है. इतना पवित्र पर्व यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए तो इसकी शुभता और भी अधिक बढ़ जाती है. धर्म ग्रंथों में सभी त्यौहार को मनाने के लिए कुछ विशेष समय का निर्धारण किया गया है जिन्हें शुभ मुहूर्त समय कहा जाता है, इन शुभ समय पर मनाए जाने पर त्यौहार में शुभता आती है तथा अनिष्ट का भाव भी नही रहता.\
इसी प्रकार रक्षा का बंधन के शुभ मुहूर्त का समय भी शास्त्रों में निहित है, शास्त्रों के अनुसार भद्रा समय में श्रावणी और फाल्गुणी दोनों ही नक्षत्र समय अवधि में राक्षा बंधन नहीं करना चाहिए. इस समय राखी बांधने का कार्य करना मना है मान्यता के अनुसार श्रावण नक्षत्र में राजा अथवा फाल्गुणी नक्षत्र में राखी बांधने से प्रजा का अहित होता है. इसी का कारण है कि राखी बांधते समय, समय की शुभता का विशेष रुप से ध्यान रखा जाता है.

इस वर्ष 2016 में रक्षा बंधन का त्यौहार 18 अगस्त, को मनाया जाएगा. इस वर्ष 2016 में रक्षा बंधन का त्यौहार 18 अगस्त, को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 17 अगस्त 2016 को हो जाएगा. परन्तु भद्रा व्याप्ति रहेगी. इसलिए शास्त्रानुसार यह त्यौहार 18 अगस्त को 5:55 से 14:56 या 13:42 से 14:56 तक मनाया जा सकता है.

धर्मशास्त्र के अनुसार किसी त्यौहार एवं उत्सव समय में चौघड़िए तथा ग्रहों के शुभ समय एवं अशुभ समयों को जाना जाता है. रक्षाबंधन के समय में भद्रा काल का त्याग करने की बात कही जाती है, तथा निर्दिष्ट निषेध समय दिया जाता है, अत: वह समय शुभ कार्य के लिए त्याज्य होता है.