पूजा के वक़्त गणेशजी को प्रथम पूजा जाता है। और कहा जाता है की जिस घर में गणेश की पूजा होती है, वहां सुख ,समृद्धि और लाभ मिलता है। इसके अलावा गणेशजी वास्तु दोष भी दूर करते है | गणेश जी की स्थापना अपने घर के main gate के ऊपर या ईशान कोण में की जाती है| कहा जाता है की कभी भी गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए । और भवन के मुख्य द्वार पर बाहर की और से गणेश की बैठी हुई प्रतिमा लगानी चाहिए | उसका आकार 10-11 अंगुल से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
घर में पूजा के लिए गणेश जी शयन या बैठी मुद्रा में हो तो अधिक उपयोगी माने जाते है| कला या अन्य शिक्षा के लिए पूजन करना है तो नृत्य गणेश की तस्वीर लगानी चाहिए|
गणेशजी की मूर्ति का मुख यदि नैर्ऋत्य मुखी हो तो लाभ देती है, और वायव्य मुखी होने पर सम्पति की हानि और ईशान मुखी हो तो ध्यान ना लगना और आग्नेय मुखी होने पर भुखमरी तक ला सकती है। पूजा के लिए गणेश जी की एक ही प्रतिमा होनी चाहिए
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